विज्ञान का वो पहलु जिसे आपको भूलना नहीं चाहिए। Navseekh Education May 31, 2020

विज्ञान का वो पहलु जिसे आपको भूलना नहीं चाहिए।

इक्कीसवी सदी की शुरुआत में जब आज के युवा अपने प्राथमिक कक्षाओं में दाखिला ले रहे थे और अपने स्कूल के दिनों की शुरूआती कुछ सालों का मज़ा ले रहे थे, तब एक विषय था जिसे हममें से काफी लोग अब भूल चुके हैं – नैतिक विज्ञान, Moral Science.

इस विषय को एक अतिरिक्त विषय के रूप में लिया जाता था जिसकी महत्ता कुछ चंद नम्बरों और १-२ घंटे में पढके खत्म करने से अधिक नहीं नापी जाती थी।  शायद इस विषय को हल्के में लेने का ही नतीजा है  जो आज हमारे आसपास बुनियादी सूझ्भूझ की इतनी कमी है। कल अगर हमने उन मूल्यों को ठीक से समझकर उन्हें तवज़्ज़ो दिया होता तो आज का भारत कुछ और ही होता।

इस बात में कोई दोराहे नहीं हैं की हमें विज्ञान, इतिहास, भूगोल, इत्यादि जैसे विषयों को समझना जरुरी है परन्तु हमारा मानना की  हमें बचपन से ही नैतिकता को बच्चों के जीवन का अभिन्न अंग बना देना चाहिए। ये एक छोटी सी पहल बच्चों को अपने फैसले लेने के साथ साथ और भी कई तरह से मदद करेगी।

मिसाल के तौर पे निम्न कुछ बातें हैं जो सही मायने में किसी व्यक्ति को खुश और सफल बना सकती है। और इन सभी मूल्यों को हमने भी कभी न कभी सीखना चाहा है।

आत्मसम्मान : कहा जाता है की हम वो चीज़ कभी किसी और को नहीं दे सकते जो खुद हमारे पास ही न हो। ऐसा ही कुछ आत्म-सम्मान के साथ भी है।  जब तक आप खुद को अच्छा महसूस नहीं करवा पाते तब तक किसी और के लिए भी अच्छा काम नहीं कर सकते। समाज से पहले खुद को संवारना आवश्यक है और छात्रों को इस बात को समझाना और भी जरुरी ;

आत्मविश्वास : इस नीति से हर वो शख्स वाकिफ होगा जिसने कभी बच्चों को किसी सवाल पे झिझकते हुए पाया होगा। स्वाभाविक है की छात्रों को सब कुछ नहीं पता होता है, लेकिन नहीं पता होने वाली बात को स्वीकारना और जानने की इच्छा रखने को खुलकर बताना आत्मविश्वास ही सिखाता है।

सफाई :  कुछ विकास अगर भीतरी हैं तो कुछ बाहरी भी जरुरी हैं। अपने आस पास सफाई रखना और  सकारात्मक वाइब्स के लिए संभव प्रयास करना भी जरुरी हैं। ‘Cleanliness is next to Godliness’ जैसे वाक्यांश हमें इस नैतिक विज्ञान की किताबों ने ही समझाए हैं।

स्वतंत्र होना : स्वतंत्र शब्द व्यापक हैं। इसे अलग अलग तरह से लिया जा सकता हैं। वित्तीय स्वतंत्रता , वैचारिक स्वत्रंत्ता आदि। यहां स्वतंत्र होने से हमारा आश्रय खुद को इतना स्वतंत्र बनाने से है की आप अपने फैसले किसी और के हाथों न होने दे।

आभारी होना : आज, जब हम हर वर्ग के लोगों को विभिन्न  प्रकार के काम करते देखते हैं तो अपने आप ही उनके काम का आंकलन करने लगते है।  हमें बच्चों को ये सीखाना बहुत जरुरी है की कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता और न ही उस काम को करने वाले लोग छोटे या बड़े होते है। सभी कामों का और लोगों का महत्व होता है और हमें हर काम करने वाले के प्रति आभारी होना चाहिए।

दोस्तों, ये तो कुछ ही बातें थी जो एक झरोखे की तरह हमें ‘Moral Science (नैतिक विज्ञान)’ विषय की जरुरत से अवगत करा रही थी।

ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आज के युवा, बच्चों और बूढ़ों को समझने की जरुरत है।

तो क्या आपको भी लगता है की इस विषय को उसके अनुसार उसका महत्व मिलना चाहिए ?

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