कोरोना जीवन शैली – परीक्षार्थियों के लिये व्यापक सुझाव Navseekh Education June 4, 2020

कोरोना जीवन शैली – परीक्षार्थियों के लिये व्यापक सुझाव

कोरोना जीवन का अब एक आम हिस्सा सा लगता है। कई दिन बीतने के बाद भी इस माहामारी का कोई ईलाज नज़र नहीं आता दिख रहा है। निश्श्चीत ही कुछ देश इस कार्य में लगे हुये है परंतु कोई सफल परिणाम अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।

भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारें अब जल्द कुछ बची हुई परीक्षाएँ करवाने को तैयार हैं। ऐसे में यह लेख उन बच्चों को समर्पित हैं जो आगामी एक दो महिने में परीक्षाओं में समिलित होगें मसलन बारहवी, नीट, जे ई ई।

अमेरिका के सेंटर फ़ॉर डिसेस कंट्रोल ऐंड प्रिवेन्सन की माने तो भले ही बच्चों में कोविड 19 के लक्षण वयस्कों के मुकाबले बहुत कम नज़र आये फिर भी वे इस वायरस के शिकार हो सकते है और संक्रमण को तेजी से फेला सकते है। इसका कारण यह है की नया कोरोना वाईरस शरीर में उन हर कोशिकाओं तक पहुँच सकता जहाँ ACE2 प्रोटीन का निर्माण होता हैं। यह प्रोटीन बच्चों में पूरी तरह परिपक्व और कार्यात्मक नहीं होता हैं। संस्था की माने तो अभी तक यह बहुत कम पता चल पाया है कि कोविड 19 बच्चों को किस हद संक्रमित कर सकता हैं। इस स्थिति में हमें थोड़ा और सजग रहना चाहिये।

शुरु करने से पहले सभी छात्र छात्राओं से निवेदन है कि अब समय आ गया है की वे तैयारियों में जुट जाये। जुन एवं जुलाई के महिने में परीक्षाओं के होने की सम्भावनायें हैं। ऐसे में सभी परीक्षार्थी मास्क, सेनिटाइज़र आदि का इन्तेजाम अभी से कर ले।

ऐडमिट कार्ड अभी से प्रिंट करा ले और उसे किसी बन्द डिब्बे में दो से तीन दिन तक रखे ताकी प्रिंट होते समय या होने के बाद किसी का भी स्पृश अगर उस पर हुआ है तो उसका असर खत्म हो जाये। परीक्षा केंद्र पर निजी वाहन लेकर जाने के उपरांत उसे पार्किंग में रखते समय सावधानी बरते साथ ही घर जाने के बाद अपने वाहन को जरुर धोए। पार्किंग के दौरान जाने अनजाने में कई लोग एक दूसरे की गाड़ी को छू लेते है इससे बचें।

कई बच्चे अपने गुरु शिक्षकों के पैर छुकर परीक्षा में प्रस्तूत होते है। ऐसा करना शास्त्रों में भी शुभ माना गया है, परंतु इस माहामारी के दौर में सिर्फ दूर से ही प्रणाम करे। यकीनन उनका आशीर्वाद आपके साथ सदा बना रहेगा। आप सभी अपने मित्रों से कई दिनों के बाद मिलेंगे। कुछ लोगों को अपने मित्र को कस कर गले लगाने का मन भी करेगा किन्तु संकट की इस स्थिती में हाथ मिलाने या गले लगने से परहेज करे।

मैनें कई छात्रों को टेबल पर लेट कर लिखते देखा है। स्वयं मैं भी अपने बचपन में कुछ इसी तरह लिखा करता था। इससे बचे, क्योंकि इस दौरान आपकी नाक और टेबल के बीच की दूरी बहुत कम हो जाती है। अगर टेबल किसी सफाई कर्मचारी या शिछक द्वार टेबल पर रोल नम्बर लिखने के दौरान अगर छुआ है तो इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। शिक्षा विभाग की माने तो कक्षाओं को परीक्षा के पहले और बाद में भी सेनिटाइज़ करना आवश्यक हैं किन्तु हमें अपनी ओर से कोई भी कोताई नहीं बरतनी चाहिये। कक्षा में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को छुने से बचें जैसे चाक डस्टर आदी। खास्ते या छींकते वक्त अपनी बाँह का इस्तेमाल करें।

अमूमन परीक्षाएँ तीन घंटे की होति है परंतु कुछ व्यवस्थायें जैसे मास्क, सेनिटाइज़ या तापमान की जाँच करने के लिए आप सभी को समय से काफी पहले बुलाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में घर से हल्का भोजन कर ही निकले अथवा बेग में कुछ खाने का सामान रखले। केफेटेरिया या केंटीन में कुछ भी खाने से बचें। सभी विद्यार्थी और शिक्षकगण भी इस बात का ध्यान रखे कि सब लोग एक निश्श्चीत दूरी पर हो। परीक्षा के दौरान समय समय पर अपने हाँथों को सेनिटाइज़् करते रहे। परीक्षा होने के बाद निकलते समय भीड़ भाड़ से बचे। घर जाने के उपरांत अपने जूतों को घर के बाहर ही उतारे।

भारत सरकार कुछ समय में गाईडलाइंस भी जारी करेगी। उनसे अवगत रहे और उनका पालन करें। इस संकट कि घड़ी में सावधानी ही एक मात्र उपाय हैं। इन सब बातों से विद्यार्थी पहले से ही अवगत होंगे परन्तू उम्र के जिस पड़ाव पर आप सब है उसमें हम स्वयं को महाज्ञानी समझते है परंतु किसी भी प्रकार के मूर्खतापुर्ण बर्ताव से बचें। स्वयं के विवेक से काम ले, बड़ो की सलाह का सम्मान करें तथा स्वस्थ रहे। यह साल लाभ या हानि का नहीं, अपने आप को बचाए रखने का हैं। आप सभी को ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ। ख्याल रखे अपना भी और अपनों का भी।

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